Ranchi : जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर सरला बिरला विश्वविद्यालय सभागार में माननीय कुलपति प्रोफेसर डॉ गोपाल पाठक की अध्यक्षता में आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती आयोजित की गई। 1 अक्टूबर 1894 को बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडाओं ने अंग्रेजों से लगान के विरोध में प्रखर आंदोलन किया था! जिसके बाद 1895 में उन्हें गिरफ्तार कर हजारीबाग केंद्रीय कारावास में 2 साल तक बंद कर रखा गया गया था। कारावास से मुक्ति के बाद उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध सशक्त क्रांति का आह्वान किया था जो मार्च 1900 तक यानी उनकी गिरफ्तारी तक लगातार चलता रहा।
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इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रोफेसर डॉ गोपाल पाठक ने कहा कि बिरसा मुंडा जनजातीय समाज के ऐसे वीर योद्धा थे जिनका कृत्य, त्याग एवं बलिदान अविस्मरणीय है। बेहद ही कम उम्र में अंग्रेजो के खिलाफ उलगुलान का जो बिगुल उन्होंने बजाया था उसके कारण अंग्रेजों के होश उड़ गए थे।
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कारावास में दी गई यात्राओं के कारण जून 1900 को रांची के कारागार वे शहीद हो गए। वे सदैव शोषण एवं गुलामी के विरोध में न केवल मुखर आवाज बने बल्कि सदैव आंदोलन का नेतृत्वकर्ता बने रहे। उनका त्याग, बलिदान एवं अमर कृति सदैव प्रेरणा के रुप में समाज में अनुकरणीय एवं जीवन्त बनी रहेंगी!
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